चैते चना , बैशाखे बेल ;
जेठे शयन , आसाढे खेल ।
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सावन हरे , भादौ तीत ;
क्वार में करो , गुङ से प्रीत ।
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कार्तिक मूली , अगहन तेल ;
पूष में करो , दुध से मेल ।
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माघ मास घी खिचङी खाय ;
फागुन उठकर नित्य नहाय।
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यह बारह जो सेवन करे ;
रोग दोष दुख तन कर हरे ।।
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1️⃣ चैत्र के महीने में चने का सेवन जरूर करना चाहिए। नया चना प्रकृति नव परिवर्तन के साथ पथ्य बन जाता है । जो फाल्गुन में अपनी नमी के चलते वात प्रधान था। वह चैत्र में औषध जैसा बन जाता है।
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2️⃣ वैशाख के महीने में बेल फल का सेवन जरूर करना चाहिए। पूरे वैशाख मास के अंदर फलों में हमेशा बेल फल को भोजन का हिस्सा जरूर बनायें ।
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3️⃣ ज्येष्ठ के महीने में जब दिन में बाहर भयंकर गर्मी पड़ती है तो दिन के समय शयन कर, जरूर आराम करना चाहिए। वैसे आयुर्वेद में दिन में सोना वर्जित होता है, लेकिन सिर्फ ज्येष्ठ के महीने में ही सोने को अनुकूल माना गया है। ○○●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●○○
4️⃣ आषाढ़ के महीने में खेल यानि विभिन्न प्रकार के खेल , योग , कसरत , एक्सरसाइज करनी चाहिए। आषाढ के महीने का मौसम अनुकूल होता है और शरीर को भी आने वाले मौसम के लिए तैयार रखना जरूरी हैं।
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5️⃣ सावन के महीने में छोटी हरङ का एक डंठल हर रोज एक दिन में एक बार मुंह में सुपारी की भांति रखकर के जरूर खाना चाहिए। हरङ त्रिफलों में एक महत्वपूर्ण औषधि है।
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6️⃣ भाद्रपद महीने में तीत यानी किरायचा जरूर खाएं। किरायचा छोटे छोटे कवक जीवाणु आदि को शरीर से बाहर निकालता हैं, जो नुकसानदायक होते हैं।
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7️⃣ आसोज के महीने में गुड़ जरूर खाना चाहिए । रात को सोते समय एक गुड़ की छोटी सी डली खाकर के कुल्ला करके सो जाएं। पूरा शरीर डिटॉक्स हो जाएगा।
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8️⃣ कार्तिक के महीने में मूली जरूर खाएं । कार्तिक मास की सुबह में अगर आपने मूली खाई तो वह औषध के समान शरीर को गुण देती है।
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9️⃣ मिक्सर महीने में तेल का सेवन जरूर करें , क्योंकि बाहर के सर्द मौसम से चमड़ी शुष्क हो जाती है। और हमारी चमड़ी को भी वसा की जरूरत होती है । मिक्सर में तेल खाना भी चाहिए और तेल से शरीर पर मसाज भी करना चाहिए।
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🔟 पौष के महीने में दूध का सेवन जरूर करें । रात को सोते समय गाय का दूध अच्छी तरह से गर्म करने के पश्चात सोते समय पीकर सोयें।
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1️⃣1️⃣ माघ के महीने में घी और खीचड़ी का भोजन जरूर करें। इस महीने में भगवान को भी खींचङे का ही भोग इसीलिए लगाते है।
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1️⃣2️⃣ फाल्गुन के महीने में सुबह जल्दी उठकर जरूर अच्छी तरह से नहाना चाहिए , क्योंकि बाहर का मौसम इस महीने में उल्टा सीधा चलता रहता है। सुबह-सुबह सूर्योदय के साथ स्नान करके अपने शरीर के तापमान को संतुलित करना परम आवश्यक है।○○●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●●○○
हमारे पूर्वजों के द्वारा बताई गई ये समस्त बातें उनके वर्षों का अनुभव हैं। इसलिए ये सिर्फ किंवदंतियां नहीं सांईटीफिक भी पूर्ण निरापद बातें हैं।
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ऐसा हर पदार्थ मौसम व समय के अनुसार खाया जाए तो ओषध जैसा होता हैं तो असमय सेवन से विष समान बन जाता हैं।
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